उम्र
वर्षों के दरीचों
ख्वाबों की खिडकियों से
ठोस धर्तीले फर्शों पे
खामोश उड़ानी अर्शों पे
तलाशती रही
तुम्हे ही तो
ख़ुशी....
सवालों की भीड़ों से
गुज़र गुज़र
व्याकरणीय चिन्हों में
अटक अटक
सच और झूठ
के फलसफों में
उलझ उलझ
उम्र
सचमुच
तुम्हे ही तो
तलाशती रही,
ख़ुशी...
लफ़्ज़ों के ताने बानों में
भाव भरे अफसानों में
रिश्तों के किस्सों में
कविताओं के हिस्सों में
कथ्य-अकथ्य
रिसते से सुरों में
चुप. चुप चुप चुप
बहते, छुपते
अश्रुओं में
उम्र
तुम्हे ही तो
तलाशती रही,
ख़ुशी
आज उम्र के
पांच दशक बाद
त्यज्य हैं
सारी कोशिशें
पर मन है
चुरा लूं शब्दों को किसी के
और धीमे से
फुसफुसा दूं
कंही कोई सुन ना ले
कंही अपनी ही
ना लग जाए नज़र
और कह दूं,
जता दूं
चुपके से :
ख़ुशी,
'तेरे बिना जो उम्र बिताई बीत गई
अब इस उम्र का बाकी हिस्सा
तेरे नाम
तेरे नाम....'
वर्षों के दरीचों
ख्वाबों की खिडकियों से
ठोस धर्तीले फर्शों पे
खामोश उड़ानी अर्शों पे
तलाशती रही
तुम्हे ही तो
ख़ुशी....
सवालों की भीड़ों से
गुज़र गुज़र
व्याकरणीय चिन्हों में
अटक अटक
सच और झूठ
के फलसफों में
उलझ उलझ
उम्र
सचमुच
तुम्हे ही तो
तलाशती रही,
ख़ुशी...
लफ़्ज़ों के ताने बानों में
भाव भरे अफसानों में
रिश्तों के किस्सों में
कविताओं के हिस्सों में
कथ्य-अकथ्य
रिसते से सुरों में
चुप. चुप चुप चुप
बहते, छुपते
अश्रुओं में
उम्र
तुम्हे ही तो
तलाशती रही,
ख़ुशी
आज उम्र के
पांच दशक बाद
त्यज्य हैं
सारी कोशिशें
पर मन है
चुरा लूं शब्दों को किसी के
और धीमे से
फुसफुसा दूं
कंही कोई सुन ना ले
कंही अपनी ही
ना लग जाए नज़र
और कह दूं,
जता दूं
चुपके से :
ख़ुशी,
'तेरे बिना जो उम्र बिताई बीत गई
अब इस उम्र का बाकी हिस्सा
तेरे नाम
तेरे नाम....'
Beautiful !!
ReplyDeletekhushi is something we have to feel. not search for. Happy 51 years !
Great composition. Feel the happiness and it is there - Eureka!
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