कैसी हो तुम
और क्या ही तुम्हे है हमने बना डाला
खूबसूरत कृति दाता की प्रेम से सृजित
अपनत्व से सिंचित संवेदनाओं से सजीव
स्नेह में लिप्त
भाव आवेगों से उधृत
और पिघली जब जब
आहात, उद्वेलित
कैसी हो तुम
और क्या ही तुम्हे है हमने बना डाला
आगमन गर हो पाए सुलभ
तो कहलाती हो लक्ष्मी स्वरूप बाला
नन्ही सी कुदालियों से तलाशती ज़मीन
जब जा पाती हो विद्या शाळा
हिरनी सी बढती चली जाती हो उम्र में
उड़ानों में जी लेती हो जैसे गीतों की माला
कैसी हो तुम
और क्या ही तुम्हे है हमने बना डाला
जुगनुओं से रंग भाते हैं तुम्हे
और तितलियाँ भर देती हैंजैसे उजास तुम में
पर बस कभी यूँभी होता है
काट लेते हैं पर वहशी बाज़ बन कर
लील लेती है कभी दरिंदगी बेखौफ
छीन लेती है संवेदनहीनता
तुम्हारे पाँव के नीचे की ज़मीन भी कभी
और कभी तो घर की छत भी बन जाती है
क़ैद , सघन सा जाला
कैसी हो तुम
और क्या ही तुम्हे है हमने बना डाला
पर सुनो, न सही 'नार्यस्तु पूज्यन्ते' चाहे
और हो 'केवलश्रद्धा हो तुम' की रटी सी जाती रही माला
न हो चाहे अमृत पान इस जीवन में
और पीनी ही होसच!
चाहे सिर्फ हाला ही हाला
जीना है, जीना है, हर हाल में है जीना
सर उठा के, सम्मान के साथ
दिखा देंगे जाता देंगे विनम्रता नहीं है कमजोरी
है मजबूती ही संबल हमारे होने भर से
जाता देंगे जब भी पड़ेगा संवेदनहीनता से पाला
नहीं हो तुम अकेली, हूँ मैं भी, वो भी
सब तुम्हारी हीं तो सहेली ,
जियेंगे पल पल छिन छिन ऐसे जैसे रहे ज्वलंत जोत
और फिर उस से जलेगी और और जोत
कि रह न पायेगा तम असुरक्षा का
न अँधेरा डर का काला
आत्म सम्मान से सहेजी जाएगी, होंसले और उत्साह से
अखंड सी जीवन ज्वाला !
Touching!
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